नौजवान साथियों, इंकलाब जिंदाबाद

आशुतोष शुक्ल
आप भगत सिंह के बारे में जानते ही हैं। वही भगत सिंह जिन्होंने इस देश की स्वतंत्रता के लिए जवानी में ही अपने जीवन का बलिदान कर दिया था। वही भगत सिंह जो छोटी सी उम्र में ही खेल कूद की जगह देश को आजाद कराने के बारे में सोचने लगे थे। वही भगत सिंह जिन्होंने सेवा त्याग और पीड़ा झेल सकने वाले नवयुवक तैयार करने के लिए नौजवान भारत सभा की स्थापना की थी। आज उन्हीं वीर सरदार भगत सिंह का जन्म दिन है। 
साथियों आज भारत माता के उस वीर सपूत को याद करते हुए हमें कुछ अन्य बातों की ओर भी सोचना है। आज देश पुन: गंभीर परिस्थितियों से गुजर रहा है। देश को जरूरत है फिर से भगत सिंह जैसे जांबाजों की। देश की आन-बान-शान पर मर मिटने वाले बहादुर नौजवानों की। ऐसे लोगों की जिनके शरीर में बह रहा खून  इन परिस्थितियों से लड़ने के लिए उबल रहा हो, जिनकी भुजाएं देश की यह दशा देखकर फड़क रही हों। उनकी आत्मा ऐसे लोगों की ओर टकटकी लगाए देख रही है।
मुझे पता है कि देश की इस स्थिति से आप दु:खी हैं। मुझे यह भी पता है कि आप इनसे निबटने के बारे में सोच रहे हैं। देश की स्थिति से दु:खी होकर ही भगत सिंह ने बचपन से ही विद्रोही तेवर दिखाए थे। नौजवानों फिर से समय आ गया है भगत सिंह जैसा तेवर दिखाने की। देश में बढ़ते जा रहे आतंकवाद, जातिवाद, क्षेत्रवाद, भ्रष्टाचार सहित तमाम उन मुद्दों पर चोट करने की जो देश को दिन प्रतिदिन खाए जा रहे हैं। मेरे साथियों आपमें वह ताकत है, क्षमता है, जज्बा है, लगन है, काम करने का जुनून है और सबसे बड़ी बात बड़े से बड़े काम को पूरा करने का भरोसा है, आत्म विश्वास है। बस जरूरत है तो दृढ़ निश्चय की, पक्के इरादे की। आज बहुत ही शुभ दिन है जब हम अपने इरादे को पक्का कर सकते हैं। आपके तेवर भी वैसे हो सकते हैं।
साथियों भगत सिंह शरीर से भले ही हमें छोड़ गए पर मन से, आत्मा से, विचार से हम लोग एक दूसरे के पास हैं। क्या आप नहीं चाहते कि आपको भी लोग यह दुनिया छोड़ के जाने के बाद भी याद रखें? क्या  आप नहीं चाहते कि आप की भी जयंती मनाई जाए? यह सब होगा अगर आप उनके दिखाए रास्ते पर चलेंगे। यह हमारे खुद, समाज एवं राष्ट्र सभी के हित में होगा। साथियों आइए आज के दिन हम उस वीर की कही गई बातों पर विचार करें, उसे अपने जीवन में उतारें, ऐसा समय आए कि हम अपने आप से लाित हों, अपने आप को धिक्कारें, इससे पहले खड़े हो जाइए सड़ी गली व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए। खड़े हो जाइए देश की एक और आजादी के लिए । फिर देखिए देश कैसे बदलता हुआ दिखाई देगा। हम अपनी बात आज यहीं इसके साथ समाप्त करते हैं कि 
संगीनों के बल पर ही जंग की आजादी पलती है
इतिहास उधर ही मुड़ता है जिस ओर जवानी चलती है।

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