पेड़ पर बम? माजरा क्या है?

अहमदाबाद में हुए बम विस्फोट से चिंतित और सदमे में था देश.. लेकिन उसके बाद सूरत में जिसमें तरह तथाकथित बम बरामद हो रहे हैं, उससे लगता है यह वाकई आतंकवादियों की करनी है या दाल में कुछ काला है? भला कोई आतंकवादी पेड़ पर बम क्यों रख जाएगा, जैसा कि सूरत  में हुआ…

बात हंसी की नहीं है, लेकिन सोचने की जरूर है। ये कैसे “आतंकवादी” थे जो पेड़ों पर बम रख गए? खुले स्थानों में ऎसे बम छोड़ गए जैसे आम लोग कचरा फेंक जाते हैं। एक –दो नहीं, 18- 20 “कथित” बम सार्वजनिक स्थानों से बरामद हुए। “कथित” इसलिए, कि आपने भी टीवी पर देखा होगा, पुलिस वाले नंगे हाथों से कैसे कागज की पर्तें फाड़ कर “बम” के तार काट रहे थे।

ये बम थे? इतने सारे? इतनी लापरवाही से रखे गए? सड़क पर, दूकान के सामने, पेड़ पर…इतने सुरक्षित कि नंगे हाथों से उनके कागज फाड़ कर तार काट दिए जाएं? आज तक दुनिया में कहीं, किसी आतंकवादी ने पेड़ पर बम नहीं लटकाया होगा जैसा कि सूरत 

में नजर आया। दाल में कुछ काला तो नहीं?


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