'मैं बंदूक का पेड़ लगा रहा हूं'

योगेश योगी
एक बार शहीद भगत सिंह बचपन में अपने चाचा के साथ खेतों में काम कर रहे थे पास में ही उनके उनके चाचा एक आम का पेड़ लगा रहे थे। तब भगत सिंह ने पूछा चाचा यह क्या कर रहे हो तो उन्होंने कहा कि मैं आम का पेड़ लगा रहा हूं जिस पर बहुत से आम लगेंगे और हम सब खाएंगे। इतने में भगत सिंह ने घर से पिस्तौल ले खेत में दबानी शुरू कर दी तो उसके चाचा ने कहा कि यह क्या कर रहे हो तब भगत सिंह ने कहा कि मैं बंदूक का पेड़ लगा रहा हूं जिससे कई बंदूके पैदा होंगी और हम अपने देश को इन अंग्रेजों से आजाद करवा सकेंगे।
'बहन काले अंग्रेजों से रक्षा करना'
फांसी से पहले भगत सिंह की बहन करतार कौर उनसे मिलने गई तो भगत सिंह ने कहा कि बहन अब यह अंग्रेज मुझे फांसी देने वाले हैं। हमने जो आजादी के खिलाफ जंग लड़ी वह बेकार नहीं जाएगी उसका फल जरूर मिलेगा। लेकिन आजादी के बाद इस देश में कई काले अंग्रेजों के प्यादे राज करेंगे उनसे लोगों की रक्षा तुम करना।
'मैं वो मजनू हूं जो जिंदा में भी आजाद हूं'
भगत सिंह की कोई भी जेल में हमेशा उनके पास दो किताबें रही एक थी श्रीमद्भरगवत गीता और एक मार्क्सवाद के जन्मदाता कालमार्क की दास केपिटल।
फांसी से पहले उन्होंने अपने साथियों के साथ एक शेयर कहा था:
कूराए खलक है, गरदिश में तपीश से मेरी, 
मैं वो मजनू हूं जो जिंदा में भी आजाद हूं।
आजादी के इस मतवाले शहीद ने गुरु का दर्जा अगर किसी को दिया गया है तो वह है शहीद पंडित चंद्रशेखर आजाद को। क्योंकि इस शहीद के दिल में अगर किसी ने आजादी का बीज बोया है तो वह है श्री चंद्र शेखर आजाद।

टिप्पणियाँ

Udan Tashtari ने कहा…
सही कह रहे हैं, अच्छा लगा पढ़ना.

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