“सरकार राज” में ये देखा आपने?
हिन्दी फिल्मों में तथ्यात्मक गलतियां वैसे ही स्वाभाविक हैं जैसे वर्षा ऋतु में पानी गिरना। और उसी गति से होती हैं ये गलतियां। लेकिन “सरकार राज” ने शायद नया रेकॉर्ड बनाया।
1. फिल्म के एक दृश्य में सरकार के घर के बाहर बम विस्फोट होता है।
उसके अगले दृश्य में कुछ लोग खबर सुन रहे होते हैं जिसमें कहा जाता है कि “सरकार की पत्नी और बहू की बम विस्फोट में दर्दनाक मौत हो गई।”लेकिन अगले ही दृश्य में (बल्कि बाकी पूरी फिल्म में भी) सरकार की पत्नी उनके साथ मौजूद होती हैं! यह क्या माजरा था?
2. शंकर नागरे ( अभिषेक बच्चन) को फिल्म में कई गोलियां मारी जाती हैं, सारी की सारी छाती में। लेकिन अस्पताल में डॉक्टर कहता है, “शंकर का स्पाइनल कॉर्ड ( रीढ की हड्डी) बुरी तरह “डैमेज” हो गया है।” भई हमें तो यही पता है कि रीढ़ की हड्डी पीठ में होती है, छाती में नहीं। और जो गोलियां शंकर को लगते हुए दिखाई गई हैं वे भी सारी दाएं और बाएं ओर लगती हैं, शरीर के बीचों-बीच नहीं, कि कहा जा सके गोली सामने से लग कर पीछे तक नुकसान कर गईं। शायद रामू का यह किरदार इतना बहादुर था कि उसकी रीढ की हड्डी भी पीठ में नहीं, सामने थी
और हां, फिल्म के एक कलाकार का दिल फिल्म देख कर जरूर टूट गया होगा।
फिल्म में अभिषेक बच्चन की ह्त्या के लिए सुपारी दी जाती है। यह हत्यारा स्याजी शिंदे और गोविंद नामदेव जैसे प्रतिष्ठित कलाकारों के साथ भी एक दृश्य में आता है।
कल्पना करिए, अगर आपको यह रोल मिला होता तो आप खुशी से फूले नहीं समाते और अपने यार-दोस्तों- रिश्तेदारों- दुनिया जहान को बताते फिरते कि आपको रामू की फिल्म में रोल मिला है और आप इतने बड़े कलाकारों के साथ पर्दे पर आएंगे।लेकिन जब –जब यह किरदार स्क्रीन पर आया, कैमरे का एंगल ऎसा रहता है कि उसका सिर्फ एक पंजा, वह भी दास्ताने से ढका हुआ, पर्दे पर नजर आता है।
हम होते तो “सरकार राज” की जगह इस फिल्म का नाम रख देते “ भीड़ में पंजा”
1. फिल्म के एक दृश्य में सरकार के घर के बाहर बम विस्फोट होता है।
उसके अगले दृश्य में कुछ लोग खबर सुन रहे होते हैं जिसमें कहा जाता है कि “सरकार की पत्नी और बहू की बम विस्फोट में दर्दनाक मौत हो गई।”लेकिन अगले ही दृश्य में (बल्कि बाकी पूरी फिल्म में भी) सरकार की पत्नी उनके साथ मौजूद होती हैं! यह क्या माजरा था?
2. शंकर नागरे ( अभिषेक बच्चन) को फिल्म में कई गोलियां मारी जाती हैं, सारी की सारी छाती में। लेकिन अस्पताल में डॉक्टर कहता है, “शंकर का स्पाइनल कॉर्ड ( रीढ की हड्डी) बुरी तरह “डैमेज” हो गया है।” भई हमें तो यही पता है कि रीढ़ की हड्डी पीठ में होती है, छाती में नहीं। और जो गोलियां शंकर को लगते हुए दिखाई गई हैं वे भी सारी दाएं और बाएं ओर लगती हैं, शरीर के बीचों-बीच नहीं, कि कहा जा सके गोली सामने से लग कर पीछे तक नुकसान कर गईं। शायद रामू का यह किरदार इतना बहादुर था कि उसकी रीढ की हड्डी भी पीठ में नहीं, सामने थी
और हां, फिल्म के एक कलाकार का दिल फिल्म देख कर जरूर टूट गया होगा।
फिल्म में अभिषेक बच्चन की ह्त्या के लिए सुपारी दी जाती है। यह हत्यारा स्याजी शिंदे और गोविंद नामदेव जैसे प्रतिष्ठित कलाकारों के साथ भी एक दृश्य में आता है।
कल्पना करिए, अगर आपको यह रोल मिला होता तो आप खुशी से फूले नहीं समाते और अपने यार-दोस्तों- रिश्तेदारों- दुनिया जहान को बताते फिरते कि आपको रामू की फिल्म में रोल मिला है और आप इतने बड़े कलाकारों के साथ पर्दे पर आएंगे।लेकिन जब –जब यह किरदार स्क्रीन पर आया, कैमरे का एंगल ऎसा रहता है कि उसका सिर्फ एक पंजा, वह भी दास्ताने से ढका हुआ, पर्दे पर नजर आता है।
हम होते तो “सरकार राज” की जगह इस फिल्म का नाम रख देते “ भीड़ में पंजा”
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